आधुनिक भारत
भारत में यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों का आगमन
- 17 मई 1498 ईस्वी में वास्कोडिगामा ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट बंदरगाह पहुंचकर भारत एवं यूरोप के बीच नए समुद्री मार्ग की खोज की
- 1505 स्विमिंग फ्रांसिस्को अलमेडा भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनकर आया
- पुर्तगालियों ने अपनी पहली व्यापारिक कोठी कोचिंग में खोली
- 1509 ईस्वी में अल फ्रांस को अल्बुकर्क भारत में पुर्तगालियों का वायसराय बना इसने 1510 में बीजापुर के युसूफ आदिलशाह से गोवा को जीता
- दक्षिणी पूर्वी तट पर पुर्तगालियों की एकमात्र बस्ती सन-थोमे थी
- पुर्तगालियों के बाद भारत में डच लोग आए पहला टच यात्री कलियन हाउस मैन 1596 ईस्वी में भारत के पूर्वी मे सुमात्रा पहुंचा
- डचों ने भारत में अपनी पहली व्यापारिक कोठी 1605 ईस्वी में मसूलीपट्टनम में स्थापित की डचों की दूसरी व्यापारिक कोठी पुलीकट में स्थापित हुई जहां उन्होंने अपना स्वर्ण सिक्के पैगोडा को ढाला और पुलिकट को ही समस्त गतिविधियों का केंद्र बनाया
- डचों ने भारत में प्रथम बार औद्योगिक वेतन भोगी रखें
- डचों का भारत में अंतिम रूप से पतन 1759 में अंग्रेज एवं डचों के मध्य हुए वेदर युद्ध से हुआ ।
- 31 दिसंबर 1680 को इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कंपनी को अधिकार पत्र प्रदान किया।
- प्रारंभ में ईस्ट इंडिया कंपनी में 217 साझेदार थे और पहला गवर्नर टॉम स्मिथ था।
- मुगल दरबार में जाने वाला प्रथम अंग्रेज कैप्टन हॉकिंस था जो जेम्स प्रथम के राजदूत के रूप में अप्रैल 1609 में जहांगीर के दरबार में आया था।
- नोट : भारत आने वाला पहला अंग्रेजी जहाज रेड ड्रैगन था।
- 1611 ईस्वी में दक्षिणी पूर्वी समुद्र तट पर सर्वप्रथम अंग्रेजों ने मसूलीपट्टनम में व्यापारिक कोठी की स्थापना की।
- जहांगीर ने 1613 ईस्वी में एक फरमान जारी कर अंग्रेजों को सूरत में थॉमस एल्डवर्थ अधीन व्यापारिक कोठी खोलने की इजाजत दी।
- नोट : पूर्वी तट पर अंग्रेजों ने अपना प्रथम व्यापारिक कोठी मसूलीपट्टनम में 1611 ईस्वी में खोला, जबकि पश्चिमी तट पर सूरत में 1613 ईस्वी में व्यापारिक कोठी स्थापित कि । पहली बार सूरत में 1608 इसवी में व्यापारिक कोठी स्थापित करने का प्रयास किया गया था
- 1615 इसमें सम्राट जेंट्स फर्स्ट न टर्म्स रोको अपना राजदूत बनाकर मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार में भेजा । रो फरवरी 1619 तक भारत में रहा । रो जहांगीर एवं खुर्रम (शाहजहां) से अंग्रेजों के लिए कुछ व्यापारिक छूट प्राप्त करने में सफल हुआ।
- 1632 ईस्वी में गोलकुंडा के सुल्तान ने अंग्रेजों को एक सुनहरा फरमान दिया जिसके अनुसार अंग्रेज सुल्तान को 500 पगोड़ा वार्षिक कर देकर गोलकुंडा राज्य के बंदरगाह पर स्वतंत्रता पूर्वक व्यापार कर सकते थे।
- 1639 ईस्वी में अंग्रेज फ्रांसिस डे ने चंद गिरी के राजा से मद्रास पट्टे पर लिया एवं वही एक किला बंद कोठी का निर्माण किया इस कोठी का नाम फोर्ट सेंट जॉर्ज पड़ा और यही फोर्ट सेंट जॉर्ज कालांतर में कोरोमंडल तट पर अंग्रेजी मुख्यालय बना ।
- 1661 ईस्वी में पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन ऑफ ब्रेगेन्जा एवं ब्रिटिश के राजकुमार चार्ल्स द्वितीय का विवाह हुआ इस अवसर पर दहेज के रूप में पुर्तगालियों ने चार्ल्स द्वितीय को मुंबई प्रदान किया।
- 1668 में चार्ल्स द्वितीय ने मुंबई को 10 पाउंड के वार्षिक किराए पर ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया।
- 1687 में अंग्रेजों ने पश्चिमी तट का मुख्यालय सूरत से हटाकर मुंबई को बना दिया।
- नोट : गेराल्ड औगियर (सूरत का प्रेसिडेंट एवं मुंबई का गवर्नर) ने मुंबई शहर की स्थापना की।
- बंगाल के शासक शहर सूजा ने सर्वप्रथम 1651 ईस्वी में अंग्रेजों को व्यापारिक छूट की अनुमति दी अनुमति को निशान कहते थे।
- 1698 इसवी में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ने 3 गांव सुतानुती , कालीकट एवं गोविंदपुर की जमीनदारी ₹1200 भुगतान कर प्राप्त की और यहां पर फोर्ट विलियम का निर्माण किया चार्ल्स आयर फोर्ट विलियम के प्रथम प्रेसिडेंट हुए कालांतर में यही कोलकाता नगर कहलाया , जिसकी नीव जॉर्ज चारनौक ने रखी ।
- भारत में फ्रांसीसी उनकी प्रथम कोटि फ्रैंको कैरो के द्वारा सूरत में 1668 में स्थापित की गई
- 1674 सेमी फ्रांसिस मार्टिन ने पांडिचेरी की स्थापना की
- प्रथम कर्नाटक युद्ध 1646 से 1648 ईसवी में ऑस्ट्रेलिया के उत्तराधिकार युद्ध से प्रभावित था 1648 ईस्वी में हुई ए-ला-शपाल की संधि के द्वारा आस्ट्रेलिया का उत्तराधिकार युद्ध समाप्त हो गया और इसी संधि के तहत सर्व प्रथम कर्नाटक युद्ध समाप्त हुआ।
- कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 से 1763 ईस्वी के बीच हुआ जो 1756 में शुरू हुए सप्त वर्षीय युद्ध का ही एक अंश था पेरिस की संधि होने पर यह युद्ध समाप्त हुआ
- 1760 ईस्वी में अंग्रेजी सेना ने सर आयरकूट नेतृत्व में वांडीवाश की लड़ाई में फ्रांसीसी यों को बुरी तरह हराया
- 1761 में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को फ्रांसीसी उसे छीन लिया
- 1763 ईस्वी में हुई पेरिस संधि के द्वारा अंग्रेजों ने चंदरनगर को छोड़कर शेष अन्य प्रदेशों को लौटा दिया जो 1749 तक को फ्रांसीसी कब्जे में थे। यह प्रदेश भारत की आजादी तक फ्रांसीसी यों के कब्जे में रहे।
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